Bank Minimum Balance New Rule – देशभर के बैंक खाताधारकों के लिए मिनिमम बैलेंस से जुड़ा नया नियम आज से लागू हो गया है। नए प्रावधान के तहत अब ग्राहकों को अपने खाते में पहले की तुलना में अधिक राशि बनाए रखनी होगी, जिससे बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को बढ़ाया जा सके। बदलते समय में डिजिटल ट्रांजैक्शन, बढ़ते मेंटेनेंस खर्च और सुरक्षा अपग्रेड के कारण बैंक लंबे समय से इस नियम में बदलाव की तैयारी कर रहे थे। नए नियम लागू होने के बाद यदि कोई ग्राहक निर्धारित मिनिमम बैलेंस से कम राशि रखता है, तो उस पर अतिरिक्त चार्ज लग सकता है।

नया मिनिमम बैलेंस नियम क्या कहता है?
नए नियम के अनुसार अब बैंक खाताधारकों को बचत खाते में पहले की तुलना में अधिक मिनिमम बैलेंस बनाए रखना होगा। यह बदलाव बैंक–टू–बैंक अलग हो सकता है, लेकिन औसतन आवश्यक राशि में 10% से 25% तक की बढ़ोतरी की गई है। इसका उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को अधिक सुचारू बनाना और ग्राहकों को बेहतर डिजिटल एवं शाखा सेवाएं प्रदान करना है। जिन खातों में मिनिमम बैलेंस नहीं रखा जाता, उन पर पहले की तुलना में थोड़ा अधिक पेनल्टी शुल्क लगाया जा सकता है। ग्राहकों को इस बदलाव से फायदा भी होगा, क्योंकि अधिक बैलेंस रखने पर उन्हें ब्याज के रूप में अधिक रिटर्न प्राप्त हो सकता है।
किन खातों पर लागू होगा नियम?
यह नया नियम मुख्य रूप से सेविंग अकाउंट और रेगुलर बैंक खातों पर लागू होगा। हालांकि, जनधन खाता, पेंशन अकाउंट, विधवा पेंशन खाते और कुछ विशेष सरकारी योजनाओं के तहत खोले गए खातों पर मिनिमम बैलेंस नियम लागू नहीं किया जाएगा। ऐसे खाते पहले की तरह ‘नॉन–मेनटेनेंस चार्ज’ से मुक्त रहेंगे। वहीं, सैलरी अकाउंट पर भी आमतौर पर मिनिमम बैलेंस की बाध्यता नहीं होती, लेकिन कुछ बैंकों ने ऐसे खातों में भी सीमित नियम लागू किए हैं। ग्राहक अपने बैंक की वेबसाइट या शाखा से यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह नियम सभी प्रमुख सरकारी और निजी बैंकों में आज से लागू हो चुका है।
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क्या होगा यदि मिनिमम बैलेंस नहीं रखा?
यदि कोई ग्राहक अपने खाते में बैंक द्वारा निर्धारित मिनिमम बैलेंस नहीं रखता है, तो नए नियम के अनुसार उस पर पहले की तुलना में अधिक पेनल्टी लगेगी। यह पेनल्टी बैंक के अनुसार अलग हो सकती है, लेकिन सामान्यतः यह ₹50 से ₹200 तक हो सकती है। कई बैंक अब ग्राहकों को एक ‘ग्रेस पीरियड’ भी दे रहे हैं, जिसमें बैलेंस पूरा करने पर पेनल्टी नहीं लगेगी। यदि किसी ग्राहक के खाते में लगातार बैलेंस कम रहता है, तो बैंक उसके अकाउंट को ‘इनएक्टिव’ या ‘डॉरमेंट’ भी घोषित कर सकता है। इससे ग्राहकों को ट्रांजैक्शन में दिक्कत आ सकती है और खाते को पुनः सक्रिय करने के लिए उन्हें शाखा में जाकर केवाईसी अपडेट कराना पड़ सकता है।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
ग्राहकों के लिए सबसे जरूरी है कि वे अपने बैंक द्वारा जारी किए गए नए नियमों को ध्यान से पढ़ें और यह समझें कि उनके खाते में अब कितना बैलेंस रखना आवश्यक है। यदि कोई ग्राहक अक्सर अपने खाते का बैलेंस कम रखता है, तो वह ‘ज़ीरो बैलेंस अकाउंट’ खोलने या किसी ऐसे खाते में कन्वर्ट कराने पर विचार कर सकता है जिसमें मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता नहीं हो। बैंक की मोबाइल ऐप या नेट बैंकिंग से बैलेंस चेक करना भी आसान है, जिससे ग्राहक किसी भी समय अपनी राशि पर नजर रख सकते हैं। यदि किसी महीने में बैलेंस कम रह जाता है, तो ग्राहक समय रहते उसे पूरा कर अतिरिक्त शुल्क से बच सकते हैं। बैंक विशेषज्ञों का कहना है कि इस नियम से ग्राहकों की बैंकिंग आदतों में सुधार होगा और वित्तीय अनुशासन बढ़ेगा।
